OPTION TRADING KYA HAIN AUR KAISE KARE ? BEST OPTION TRADING STRATEGY IN HINDI 2023

भारतीय शेयर मार्केट में पिछले कुछ सालों से OPTION TRADING करने वाले ट्रेडर्स का प्रमाण बढ़ गया हैं। क्यू की जो लोग नए नए DEMAT ACCOUNT खोलते हैं उन्हें शेयर मार्केट की सही जानकारी नहीं होती हैं। तो इन्हें ऑप्शन ट्रेडिंग ये सेगमेंट कुछ ज्यादा ही आसान लगने लगता हैं। क्यू की लॉस लिमिटेड और प्रॉफिट अन लिमिटेड ये उनके दिमाग में बैठ जाता हैं। लेकिन असल में ऐसा होता नहीं हैं।

OPTION TRADING बहुत ही जोख़िम भरा होता हैं। HIGH VOLATILITY के कारण यहां पर TREND को प्रिडिक्ट करना बहुत मुश्किल काम होता हैं। ये एक समय निर्धारित सेगमेंट होता हैं। अब हम समझते हैं की OPTION TRADING क्या हैं और कैसे करते हैं।

OPTION TRADING

OPTION TRADING क्या होता हैं?

OPTION TRADING का मतलब DERIVATIVES TRADING होता हैं। INTRADAY TRADING करने वाले ट्रेडर्स के लिए और स्मॉल केपिटल वाले ट्रेडर्स के लिए भी ऑप्शन ट्रेडिंग एक अच्छा विकल्प होता हैं। इस कारण छोटा कैपिटल लेकर आए नए नए ट्रेडर्स यहां पर अधिक प्रमाण में आकर्षित होते हैं।

OPTION TRADING ये एक ऐसा समय सीमा निर्धारित CONTRACT सेगमेंट हैं। जिसमे निर्धारित समय का मूल्य (प्रीमियम) देकर ट्रेडिंग की जाती हैं। और जैसे जैसे समय खतम हो जाता हैं। वैसे वैसे समय का मूल्य (प्रीमियम) भी घटता जाता हैं। लेकिन इसमे एक विशेष बात यह होती हैं की आपने जितने प्रीमियम को देकर ट्रेड लिया हैं। उतना ही आपका लॉस हो सकता हैं।

मतलब आपका लॉस होगा तो जितना आपने प्रीमियम देकर ट्रेड लिया था। उतना ही आपका  आखरी लॉस होगा। और एक बात यहां प्रॉफिट का कोई लिमिट नही होता है। टाइम वैल्यू अनुसार छोटा प्रीमियम देकर लॉट साइज में खरीदी और बिकवाली करके प्रॉफिट बनाने की ट्रेडिंग प्रक्रिया को OPTION TRADING कहते हैं।

इस सेगमेंट में छोटे कैपिटल से बड़े प्रॉफिट कमाने हेतु ट्रेडिंग हो सकती हैं। अगर लॉस हुआ तो जितना आपने प्रीमियम दिया हैं उतना ही होगा। और प्रॉफिट अन लिमिट भी हो सकता हैं ।

ऐसे कॉन्सेप्ट के कारण नए नए ट्रेडर्स लोग ऑप्शन ट्रेंडिंग की और अधिक आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत ही जोखिम भरा होता हैं। मार्केट की सही जानकारी ना होने और HIGH VOLATILITY के कारण ये लोग यहां अपने पैसे गवा दे रहे हैं।

लेकिन सही तकनीक से TECHNICAL ANALYSIS करके ऑप्शन ट्रेडिंग से भी बहुत अच्छे प्रॉफिट कमाए जा सकते हैं। अब हम समझते हैं की OPTION TRADING किस प्रकार से की जाती हैं।

OPTION TRADING कैसे करते हैं ?

OPTION TRADING स्टॉक और इंडेक्स दोनो में ही की जाती हैं। इस ट्रेडिंग प्रणाली में सुनिश्चित किए हुए स्टॉक या इंडेक्स को लेकर लॉट के हिसाब से ट्रेडिंग की जाती हैं। जैसे की FUTURE में किए जाती हैं।

STOCK LOT SIZE EXAMPLE :-

  • CIPLA  :- 650 QUANTITY
  • TATA MOTERS :- 1425 QUANTITY

INDEX LOT SIZE EXAMPLE :-

  • NIFTY :- 50 QUANTITY
  • BANKNIFTY :- 25 QUANTITY

इस प्रकार से लॉट साइज के हिसाब से ट्रेडिंग होती हैं। मगर ये एक समय निर्धारित CONTRACT होने के कारण एक अवधि के बाद ये CONTRACT एक्सपायर भी होता हैं। इस तरह स्टॉक और इंडेक्स की EXPIRY DATE भी अलग अलग होती हैं। जैसे की स्टॉक में ये हर महीने की एक सुनिश्चित तिथि को होती हैं। और इंडेक्स में ये हर हफ्ते गुरुवार के दिन होती हैं। इस लिए स्टॉक की तुलना में इंडेक्स में वोलाटालिटी अधिक देखने को मिलती हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं ये समझने से पहले हमे ऑप्शन ट्रेडिंग कितने प्रकार से करते हैं। ये समझना जरूरी होगा।

OPTION TRADING के प्रकार :-

जैसे की हम सब जानते हैं की नॉर्मल ट्रेडिंग में हम पहले SELL करके बाद में BUY करके भी प्रॉफिट बनाने का प्रयास कर सकते हैं। लेकिन इस ट्रेडिंग प्रणाली में ज्यादातर सिर्फ BUY करके ही ट्रेड एंट्री ली जाती हैं। इसका मतलब OPTION TRADING में SELL करके एंट्री नहीं की जा सकती ऐसा बिल्कुल भी नही हैं।

ऑप्शन में SELL करके भी ट्रेड में एंट्री की जा सकती हैं पर ऑप्शन BUY करने की तुलना में ऑप्शन SELL करने के लिए एक बड़े कैपिटल की आवश्यकता होती हैं। और ज्यादातर ट्रेडर्स का कैपिटल स्मॉल होता हैं। इस लिए वो कम प्रीमियम का ऑप्शन BUY करना ही अधिक पसंद करते हैं।

ऑप्शन ट्रेडिंग में अधिक प्रमाण में BUYING होती है। इसका और एक कारण भी हैं।ऑप्शन SELL करते हुए बड़े कैपिटल की आवश्यकता होती हैं। ये तो हो गया लेकिन उसके साथ साथ ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन सेल करके होना वाला प्रॉफिट जितना आपका प्रीमियम हैं उतना ही हो सकता हैं। और STOP LOSS ना लगाकर ट्रेड किया तो होने वाला लॉस अन लिमिटेड भी हो सकता हैं। मतलब की यहां पर उल्टा होता हैं। प्रॉफिट लिमिटेड और लॉस अनलिमिटेड होता हैं।

इस कारण ऑप्शन BUYER का प्रमाण SELLER से अधिक होता हैं।

OPTION TRADING में आपने चुना हुआ स्टॉक या इंडेक्स पर आपका प्रिडिक्शन BULLISH या BEARISH हैं। इस के आधार पर OPTION में मुख्य रूप से दो प्रकार से ट्रेडिंग की जाती हैं।

  • CALL OPTION TRADING
  • PUT OPTION TRADING

किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के प्राइस के बढ़ते और गिरते क्रमानुसार OPTION CHAIN बनती रहती हैं। CALL OPTION की प्राइस स्टॉक या इंडेक्स के चढ़ते क्रमानुसार बढ़ती जाती हैं। और PUT OPTION की प्राइस स्टॉक या इंडेक्स के गिरते क्रमानुसार बढ़ती जाती हैं। ऑप्शन में ये समझना बेहद जरूरी हैं।

इस प्रकार से OPTION CHAIN में CALL OPTION को ‘CE’ से और PUT OPTION को ‘PE’ से निर्देशित किया जाता हैं।


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अब हम CALL OPTION और PUT OPTION क्या होता हैं ? और इसमें कैसे ट्रेडिंग की जाती हैं ये समझेंगे।

CALL OPTION क्या हैं और CALL OPTION में कैसे ट्रेड करे?

जब आपको लगता हैं की आपने चुना हुआ स्टॉक या इंडेक्स का प्राइस बढ़ने वाला हैं। मतलब उस स्टॉक या इंडेक्स पर आपका प्रिडिक्शन BULLISH हैं। तो एसी स्थिति में आप उस स्टॉक या इंडेक्स के स्ट्राइक प्राइज पर चल रहे ‘CE’ के प्रीमियम को लॉट साइज के स्वरूप में BUY करते हो तो उसे CALL OPTION TRADING कहते हैं।

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BANKNIFTY CALL OPTION CHAIN

इसका सरल अर्थ ये होता हैं की कॉल ऑप्शन BULLISH TREND निर्देषित ट्रेडिंग होती हैं। और CALL OPTION को  संक्षिप्त में ‘CE’ कहते हैं। चलिए अब CALL OPTION को हम उदाहरण से समझते हैं।

CALL OPRMTION EXAMPLE :-

मान लीजिए आपने BANKNIFTY को ऑप्शन के लिए चुना हैं। और आपको लगता हैं की बैंकनिफ्टी करंट प्राइस से बढ़ने वाला हैं। BANKNIFTY उस टाइम 42000 पर चल रहा हैं। ऐसी स्थिति में आपने BANKNIFTY के 42000 CE (CALL OPTION) को 300₹ प्रीमियम पर 1 लॉट BUY कर लिया । और आपके प्रिडिक्शन अनुसार  बैंकनिफ्टी के उसी ऑप्शन EXPIRY DATE तक 42000CE के कॉल ऑप्शन का प्राइस 300₹ से बढ़कर 370₹ हो जाता हैं। और बैंकनिफ्टी का लॉट साइज 25 हैं। तो उस हिसाब से आपको एक लॉट पर 1500₹ का प्रॉफिट हुआ। इस तरह से CALL OPTION में ट्रेडिंग होती हैं। 

PUT OPTION इससे एकदम उल्टा होता हैं।अब हम समझते हैं की PUT OPTION क्या हैं।

PUT OPTION क्या हैं और PUT OPTION में कैसे ट्रेड करे ?

जब आपको लगता हैं की आपने चुना हुआ स्टॉक या इंडेक्स का प्राइस गिरने वाला हैं। मतलब उस स्टॉक या इंडेक्स पर आपका प्रिडिक्शन BEARISH हैं। तो एसी स्थिति में आप उस स्टॉक या इंडेक्स के स्ट्राइक प्राइज पर चल रहे ‘PE’ के प्रीमियम को लॉट साइज स्वरूप में BUY करते हो तो उसे PUT OPTION TRADING कहते हैं।

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BANKNIFTY PUT OPTION CHAIN

इसका अर्थ ये निकलता हैं की पुट ऑप्शन BEARISH TREND निर्देषित ट्रेडिंग होती हैं। और PUT OPTION को  संक्षिप्त में ‘PE’ कहते हैं।

अब हम PUT OPTION को उदाहरण से समझते हैं।

PUT OPTION EXAMPLE :-

ऐसा मान लीजिए की आपने NIFTY को ऑप्शन के लिए चुना हैं। और आपको लग रहा हैं की NIFTY करंट प्राइस से गिरने वाला हैं। NIFTY उस टाइम 18000 पर चल रहा हैं। ऐसी स्थिति में आपने NIFTY के 18000 PE (PUT OPTION) को 150₹ प्रीमियम पर 1 लॉट BUY कर दिया ।और आपके प्रिडिक्शन अनुसार निफ्टी के उसी ऑप्शन EXPIRY DATE तक 18000PE के पुट ऑप्शन का प्राइस 150₹ से बढ़कर 190₹ हो गया। NIFTY का लॉट साइज 50 हैं। तो उस हिसाब से आपको एक लॉट पर 2000₹ का प्रॉफिट हुआ। इस प्रकार से PUT OPTION में ट्रेडिंग की जाती हैं।

OPTION PREMIUM VALUE :-

जैसे की हमने यहां पर समझा की OPTION TRADING एक समय सीमित कॉन्ट्रैक्ट ट्रेडिंग होती हैं। तो किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शन का प्रीमियम वैल्यू दो बातों पर निर्भर होता हैं।

OPTION TRADING में ट्रेडिंग करने से पहले आपको OPTION CHAIN और GREEK की समझ होनी जरूरी हैं। आपने जिस स्टॉक या इंडेक्स को ट्रेडिंग के लिए चुना हैं। उसकी चल रहीं मार्केट प्राइस बहुत महत्त्वपूर्ण होती हैं। आपने किस प्राइज पर ट्रेड लिया हैं उस पर ही आपका प्रॉफिट और लॉस डिपेंड होता हैं। उसे हम नीचे उदाहरण से समझेंगे।

OPTION CHAIN क्या होता हैं ?

किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शन में तीन प्राइस को लेकर ट्रेडिंग किए जाती हैं। और इन तीनो प्राइस लिस्ट से ही स्टॉक या इंडेक्स की OPTION CHAIN बनती हैं।

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BANKNIFTY CALL & PUT BOTH SIDE OPTION CHAIN
  • 1) AT THE MONEY (ATM) :- किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का जो करंट प्राइस चल रहा होता हैं। उस ऑप्शन प्राइज को AT THE MONEY ऑप्शन कहते हैं। ATM ऑप्शन प्राइज प्रीमियम को लेकर ट्रेडिंग करना हमेशा उचित होता हैं। लेकिन इसका प्रीमियम हमेशा अधिक होता है।

EXAMPLE :- मान लीजिए BANKNIFTY का करंट रेट 42030 चल रहा हैं तो BANKNIFTY का AT THE MONEY 42000 होगा। उस समय 42000 पर जो प्रीमियम चल रहा हैं उसे AT THE MONEY प्राइज(ATM) कहते हैं।

  • 2) IN THE MONEY ( ITM) :- किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का जो करंट प्राइस चल रहा होता हैं। तो ऐसे में उसके TREND के हिसाब से अंदर का जो प्राइज लिस्ट होता हैं। उसे IN THE MONEY PRICE ( ITM ) कहते हैं। ITM ऑप्शन प्राइज प्रीमियम को लेकर ट्रेडिंग करना हमेशा उचित होता हैं। लेकिन इसका प्रीमियम हमेशा ATM प्राइज से भी अधिक होता है। इसमें आपको होने वाले लॉस की संभावना बहुत कम हो सकती हैं। लेकिन यहां प्रीमियम भी ज्यादा देना पड़ता हैं।

EXAMPLE :- मान लीजिए BANKNIFTY का करंट रेट 42030 चल रहा हैं तो BANKNIFTY का IN THE MONEY प्राइस CALL SIDE में 42000 से कम चल रही प्राइज लिस्ट से शुरू होगा। जैसे की..41900/800/700 ऐसे.. और PUT SIDE में 42000 से ज्यादा बढ़ रही प्राइज लिस्ट से शुरू होगा। जैसे की.. 42100/200/300 ऐसे।

  • 3) OUT OF THE MONEY :- किसी भी स्टॉक या इंडेक्स का जो करंट प्राइस चल रहा होता हैं। तो उसके चल रहे TREND के हिसाब से करंट प्राइज से जितना दूर जाने वाला प्राइज लिस्ट होता हैं। वो सब OUT OF MONEY में आता हैं। उसे OUT OF MONEY PRISE कहते हैं। OUT OF MONEY में करंट ऑप्शन प्राइज से ज्यादा दूर के प्रीमियम को लेकर ट्रेडिंग करना जोखिम भरा हो सकता हैं। लेकिन इसका प्रीमियम हमेशा ATM प्राइज से हमेशा कम होता है। इसमें आपको होने वाले लॉस की संभावना बढ जाती हैं। लेकिन यहां प्रीमियम भी सबसे कम देना पड़ता हैं।
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EXAMPLE:- मान लीजिए BANKNIFTY का करंट रेट 42030 चल रहा हैं तो BANKNIFTY का OUT OF MONEY प्राइस CALL SIDE में 42000 से बढ़ रही प्राइज लिस्ट से शुरू होगा। जैसे की..42100/200/300 ऐसे.. और PUT SIDE में 42000 से कम हो रही प्राइज लिस्ट से शुरू होगा। जैसे की.. 41900/800/700 ऐसे होगा।

इस प्रकार से हमने ऑप्शन चैन को विस्तृत में समझा हैं। और ऑप्शन में किस प्रीमियम को लेकर OPTION TRADING करना सही होगा ये जानकारी यहां से प्राप्त की हैं।

OPTION PREMIUM क्या होता हैं ?

किसी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शन का प्रीमियम दो मूल्यों से बनता हैं। वो क्या होते हैं ये हम अब समझेंगे।

  • INTRINSIC VALUE ( मूल कीमत ) :- किसी स्टॉक या इंडेक्स की INTRINSIC VALUE उसकी स्ट्राइक प्राइज और स्टॉक या इंडेक्स की चल रही करंट प्राइस के बीच में होने वाले डिफरेंस पर आधारित होती हैं। INTRINSIC VALUE से हमे होने वाले प्रॉफिट का अंदाजा मिल सकता हैं। इससे हमे किस स्ट्राइक प्राइज से ट्रेड लेना हैं इसकी जानकारी मिलती हैं।
  • TIME VALUE( समय कीमत ) :- TIME VALUE उस स्टॉक या इंडेक्स की EXPIRY DATE और VOLATILITY पर आधारित होती हैं। EXPIRY DATE जैसे जैसे नजदीक आती हैं वैसे TIME VALUE कम होती जाती हैं।

इस प्रकार से INTRINSIC VALUE और TIME VALUE पर स्टॉक या इंडेक्स के प्रीमियम की वैल्यू निर्धारित होती हैं।

OPTION TRADING STRATEGIES IN HINDI

शेयर मार्केट में OPTION TRADING ये एक ऐसा सेगमेंट की यहां पर नए ट्रेडर हो या अनुभवी ये सब आकर्षित होते हैं। मगर जिनको OPTION TRADING के बारे में सही जानकारी और समझ हैं वो ट्रेडर्स यहां से पैसा कमाते हैं। बाकी यहां अपने पैसे गवा देते हैं।

लेकिन शेयर मार्केट की सही जानकारी और सुझबुझ जिन्हें हैं वो ट्रेडर्स OPTION TRADING में कम कैपिटल के साथ कम अवधि में अच्छे प्रॉफिट कमाते हैं। इस के लिए वो कुछ तकनीक और स्ट्रेटजी का उपयोग करते हैं। तो हम OPTION TRADING के लिए सबसे असरदार और बेहतर स्ट्रेटजी कोनसी हैं ये हम यहां पर समझेंगे।

  • SCALPING TRADING :- स्कैल्पिंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का OPTION TRADING में सबसे अधिक उपयोग किया जाता हैं। क्यू की स्कैल्पिंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी में स्टॉक या इंडेक्स के HIGH VOLATILITY का फ़ायदा उठाया जाता हैं। स्टॉक या इंडेक्स में होने वाली मूवमेंट अनुसार हर एक स्विंग पर छोटे स्टॉप लॉस को सेट करके छोटे छोटे प्रॉफिट बुक करने के लिए बार बार ट्रेड लिए जाते हैं। ऑप्शन में HIGH VOLATILITY होने के कारण यहां पर स्कैल्पिंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी का आसानी से उपयोग करके ऑप्शन में ट्रेडिंग की जाती हैं। स्कैल्पिंग ट्रेडिंग स्ट्रेटजी क्या हैं और कैसे की जाती हैं ये समझने के लिए यहां पर क्लिक करे।
  • CALL – PUT HEDGING :- इस ऑप्शन स्ट्रेटजी का भी सबसे अधिक में उपयोग किया जाता हैं। क्यू की ये स्ट्रेटजी जो ट्रेडर नए हैं और मार्केट के बारे में उन्हें कुछ ज्यादा जानकारी नहीं हैं। उनके लिए समझने में बिल्कुल आसान होती हैं। जिनको स्टॉक या इंडेक्स का TREND अप साइड हैं या डाउन साइड ये पता करना मुश्किल हो जाता हैं। ऐसे में वो ट्रेडर्स किसी स्टॉक या इंडेक्स की समान EXPIRY DATE की एक ही स्ट्राइक प्राइज के CALL और PUT ऑप्शन दोनो ही समान क्वांटिटी में खरीद लेते हैं। फिर मार्केट चाहे किसी भी TREND की साइड में जाए। ये ट्रेडर्स इस स्ट्रेटजी से OPTION TRADING में आसानी से प्रॉफिट कमाते हैं। मगर SIDEWAYS मार्केट में इस स्ट्रेटजी से लॉस भी हो सकता हैं। ये स्ट्रेटजी TRANDING मार्केट में ही अच्छे प्रॉफिट रिजल्ट दे सकती हैं। इस स्ट्रेटजी को OPTION STRADDLE भी कहते हैं।
  • EMA CROSS OVER:- टेक्निकल चार्ट पर EMA इस इंडिकेटर की मदत से भी OPTION TRADING किए जाती हैं। EXPONATIONAL MOVING AVERAGE ( EMA ) ये एक सबसे लोकप्रिय और समझने के लिए सबसे आसान इंडिकेटर हैं। इसके लिए हमें चार्ट पर 5 से 15 मिनिट के बीच का टाइम फ्रेम सेट करना होता हैं। और फिर इंडीकेटर में जाकर आपको 9DAYS और 20DAYS ऐसे 2 EMA सेट करने होते हैं। और फिर जैसे ही टेक्निकल चार्ट पर 9DAYS का EMA 20DAYS के EMA को उपर की साइड क्रॉस करे तो आपको उस स्टॉक या इंडेक्स का CALL को BUY करना हैं। और वैसे ही चार्ट पर 9DAYS का EMA 20DAYS के EMA को नीचे की साइड को क्रॉस करे तो आपको उस स्टॉक या इंडेक्स के PUT को BUY करना हैं। इस प्रकार से यहां पर छोटा स्टॉपलॉस लगाकर आप OPTION TRADING कर सकते हों।

इस प्रकार से हमने यहां पर OPTION TRADING STRATEGIES को समझा हैं। अब हम ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स और नियमों को समझते हैं।

OPTION TRADING TIPS :-

OPTION TRADING समय निर्धारित ट्रेडिंग होती हैं। और HIGH VOLATILITY के कारण ये जोख़िम भरी भी होती हैं। लेकिन कुछ नियमों का पालन करके इस सेगमेंट्स से भी अच्छे प्रॉफिट कमाए जा सकते हैं।

  • HIGH VOLATILITY :- OPTION TRADING में सबसे महत्वपूर्ण होता स्टॉक या इंडेक्स का चयन करना। जो स्टॉक या इंडेक्स HIGH VOLATILE  होते हैं तो उसमे ट्रेड कम समय में पूरा हो जाता हैं। और कम VOLATILITY हो तो ऑप्शन का प्रीमियम समय अनुसार घटते जाता हैं। इस लिए OPTION TRADING के लिए HIGH VOLATILE स्टॉक या इंडेक्स का ही चयन करे।
  • LOT SIZE :- ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आपका कैपिटल कितना हैं। उस के अनुसार ही LOT SIZE लेनी जरूरी होती हैं। अगर आपने LOT SIZE बहुत बड़ा लिया हैं।और उसी ट्रेड में आपको कुछ पॉइंट्स का भी लॉस हो जाता हैं। तो भी ऐसे में आपको बहुत बड़ा लॉस हो सकता हैं। लॉट साइज हमेशा उतनी ही लीजिए जितना आप लॉस सेह कर सकोगे। इस लिए हमेशा अपने केपिटल अनुसार ही लॉट साइज लेकर ट्रेडिंग करे।
  • STRIKE PRISE :- जिस स्टॉक या इंडेक्स को आपने ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए चुना हैं। उसके चल रहे करंट प्राइज से ट्रेंड के हिसाब से ज्यादा दूर का ऑप्शन प्रीमियम ना खरीदे। मतलब OUT OF THE MONEY ऑप्शन प्रीमियम लेकर प्रॉफिट होने का CHANCE बहुत ही कम होता हैं। जब आपके ट्रेंड की साईड बड़ी मूवरमेंट रैली आती हैं तो ही OTM प्रीमियम से आपको प्रॉफिट होने के चांस बढ़ जाते हैं। और मार्केट में बड़ी रैली बार बार नहीं आती हैं। इस लिए चल रहे करंट प्राइज ( ATM ) प्रीमियम को ही OPTION TRADING के लिए चुनिए।
  • PROFIT & LOSS RATIO :- किसी भी ट्रेडिंग सेगमेंट में PROFIT -LOSS रेश्यो बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। ऑप्शन में भी आप 1:2 से 1:4 तक ही प्रॉफिट लॉस रेश्यो सेट करके OPTION में ट्रेडिंग करे। मतलब छोटा स्टॉपलॉस लगाकर उससे अधिक का प्रॉफिट टारगेट सेट करके ट्रेडिंग करे। लेकिन बहुत बड़ा टारगेट भी सेट ना करे। हमेशा PROFIT – LOSS रेश्यो सेट करके ही ट्रेडिंग करे।
  • MARKET TREND :- हमेशा मार्केट में चल रहे TREND को जानकर ही ट्रेड करे। RANGE BOND मार्केट में ओवर ट्रेड बिल्कुल भी न करे। ऐसी स्थिति में आपका प्रीमियम घटते जायेगा और आपको अन्त में आपको बड़ा लॉस उठाना पड़ेगा। इस लिए हमेशा जो TREND चल रहा हैं। उस हिसाब से ही ट्रेड कीजिए। रेंज बाउंड मार्केट के चलते ट्रेडिंग ना करे। ऐसे में आपका स्टॉप लॉस बार बार हिट होगा और टारगेट मिस होता रहेगा। इस लिए मार्केट जब TRENDING हो तो ही ट्रेडिंग करे।
  • OVER TRADE :-  सभी प्रकार के ट्रेडिंग में OVER TRADE करना जोखिम भरा हो सकता हैं। क्यू की हर बार हमारा प्रिडिक्शन (अनुमान) सही नही हो सकता। तो बार बार ट्रेड लेने से हम हर बार जोखिम ले लेते हैं। इस लिए OVER TRADE करके अपना कैपिटल जोखिम में ना लाए। और जब सही में ट्रेड का मौका लग रहा हो तो ही ट्रेड एंट्री कीजिए।

इस प्रकार से हमने यहां पर OPTION TRADING के लिए जरूरी टिप्स और नियमो को समझा हैं।

OPTION TRADING के फ़ायदे और नुकसान क्या हैं ?

भारतीय शेयर मार्केट में OPTION TRADING सेगमेंट सबसे लोकप्रिय ट्रेडिंग सेगमेंट बनता जा रहा हैं। लेकिन इस सेगमेंट के फायदे के साथ साथ कुछ नुकसान भी होते हैं।

OPTION TRADING के फायदे :-

  • ऑप्शन ट्रेडिंग का सबसे बड़ा फायदा ये हैं की इस सेगमेंट में जिसका कैपिटल सबसे छोटा हैं। उसको भी कम प्रीमियम पर यहां बड़ी वेल्यू स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेडिंग का मोका मिलता हैं। और वो भी ऑप्शन में आसानी से ट्रेडिंग करके अच्छा प्रॉफिट कमा सकता हैं।
  • इस सेगमेंट में लॉट साइज में ट्रेडिंग होती हैं। कम प्रीमियम पर यहां बड़ी वेल्यू स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेडिंग होती हैं। इस कारण ऑप्शन में ट्रेडिंग ट्रांसेक्शन टर्नओवर भी कम हो हो जाता हैं। तो ऐसे में ऑप्शन में लॉट अनुसार 13₹ से 20₹ के बीच में ही ब्रोकरेज चार्ज होता हैं।जो की बहुत ही कम होता हैं।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग में यदि आप सही तरह से TREND को PREDICT ( अनुमान ) नहीं कर पा रहे हो तो भी आप दोनो साइड के CALL और PUT ऑप्शन को ख़रीद के HEDGING कर सकते हो।
  • OPTION TRADING में हाई वोलेटिलिटी होने के कारण आप ऑप्शन में SCALPING करके कम समय में अच्छे प्रॉफिट कमा सकते हो।
  • OPTION EXPIRY के दिन आप बहुत ही कम प्रीमियम देकर ट्रेडिंग कर सकते हो। और TEANDING मार्केट में बड़ा प्रॉफिट बना सकते हो।

OPTION TRADING के नुकसान :-

  • OPTION में HIGH VOLATILITY होने के कारण ऑप्शन ट्रेडिंग बहुत ही जोखिम भरा होता हैं। यदि आप मार्केट की दिशा का सही अनुमान नही लगा पाए तो आपको लॉस उठाना पड़ सकता हैं। इस लिए सभी सेगमेंट में ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम भरा होता हैं।
  • ऑप्शन में यदि आपका टारगेट और स्टॉप लॉस रेश्यो सही नही हैं तो आपको यहां बड़ा लॉस भी हो सकता हैं। विशेष करके जब मार्केट रेंज बाउंड चल रहा होता हैं।
  • OPTION की EXPIRY DATE जैसे जैसे नजदीक आती हैं। वैसे उसका प्रीमियम घटता जाता हैं। ऐसे में ऑप्शन को होल्ड करके रखने सबसे ज्यादा जोखिम भरा होता हैं।

इस तरह से हमने यहां पर OPTION TRADING के सभी फायदे और नुकसान को विस्तृत रूप में समझा हैं।

आपने इस लेख से क्या सीखा ?

हमने यहां पर OPTION TRADING क्या होती हैं ? और OPTION TRADING कैसे की जाती हैं? ये विस्तृत रूप में समझने की कोशिश की हैं। हमने यहां ये भी समझा हैं की ये ट्रेडिंग सेगमेंट बहुत ही जोखिम भरा होता हैं। यहां पर बताए गए टिप्स और नियमों का OPTION TRADING में पालन ना करेंगे तो बड़ा लॉस उठाना पड़ सकता हैं। और सही तकनीक से और नियमो के साथ OPTION TRADING करेंगे तो यहां से भी बहुत अच्छे प्रॉफिट बनाए जा सकते हैं। इस तरह से यहाँ हमने OPTION TRADING के बारे में विस्तुत रूप में जानकारी देने का प्रयास किया हैं। अपेक्षा करते हैं की ये सब जानकारी आपके लिए फायदेमंद साबित हो। आपको ये लेख कैसा लगा और यदि आप हमे कोई सुझाव देना चाहते हो तो कृपया कॉमेंट्स में लिखिए।

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